
अप्रैल २०१५ में जब मैं अपने घर जा रहा था तो ३५
किलोमीटर की यात्रा को ४ घंटे में पूरा किया था. रायबरेली से जायस महज ३५ किलोमीटर
की दुरी पर स्थित है. इसका अर्थ यह नहीं की मैं पैदल जा रहा था. यह यात्रा बस से
की गयी थी. सड़क पर गड्डे हैं या गड्डे में सड़क है इसका अंदाजा लगाना मुश्किल काम
है. जायस और रायबरेली एनएच पर स्थित हैं. यदि इसकी यह स्थिति है तो बाकि जगहों के
बारे में सहज ही अंदाजा लगाया जा सकता है. जहाँ मेरा घर है उस गांव या उसके आसपास
कोई साल के चार महीने जुलाई से ओक्टुबर
में बीमार हो जाए और उसे अस्पताल ले जाना हो तो मरीज रास्ते में ही भगवान
को प्यारा हो जायेगा. सड़क के नाम पर केवल गड्डे हैं और उसमे हमेशा पानी भरा रहता
है. १०८ हो या कोई और वहां तक पहुँच पाए यह संभव नहीं है.
यदि यह कहा जाए की कांग्रेस अमेठी और रायबरेली की
जनता को भेड़-बकरी समझती है तो दुःख नहीं होना चाहिए. पुरखों की फसल को ही राहुल और
सोनिया आज काट रही हैं. मैं कहीं भी देश के किसी भी हिस्से में जाता हु तो लोगों
का एक ही सवाल होता है कि आपका क्षेत्र को बहुत विकसित होगा. क्या बताऊँ उन्हें?
विकास के नाम पर कुछ भी नहीं है वहां. पिछले ११ साल से राहुल गाँधी वहां के संसद
हैं लेकिन क्षेत्र में जाते कब हैं यह बड़ा सवाल है. चुनाव में इस बार जाना पड़ा था.
क्योंकि ओवरटेक की सुविधा नहीं थी. आप पार्टी के कुमार विश्वास और भाजपा की स्मृति
ईरानी जो मैदान में थी. इसके पहले के चुनाव में तो कांग्रेस को ओवरटेक करने का
पूरा मौका दिया जाता था. कोई भी पार्टी अपना ताकतवर नेता ही उस क्षेत्र से नहीं
उतरती थी.
महज यह कह देने से कि हमारी सरकार नहीं है. क्या
आप बच जायेंगे. नहीं न. ११ सालों में आपने क्या किया है जब आपकी ही सरकार केंद्र
में रही है. जहाँ तक मेरा मानना है अमेठी और रायबरेली देश के उन पिछड़े हुए जिलो
में शामिल होने लायक भी नहीं हैं जहाँ बुनियादी सुविधाए भी उपलब्ध न हो. कांग्रेस
को अगर अपनी यह सीट बचाए रखनी है तो उसे काम करना पड़ेगा नहीं तो वह दिन दूर नहीं
जब यह सीटें भी हाथ से निकल जाए.
लोगों को एक बार बेवकूफ बनाया जा सकता है हमेशा
नहीं. कभी न कभी तो जागरूकता आएगी ही. धोखा ज्यादा दिन नहीं चलता है.