शुक्रवार, 4 फ़रवरी 2011

सवाल धर्म परिवर्तन का है जी!

धर्मपरिवर्तन का सवाल किसी के मन में क्यों उठता है इस बात को समझना तथा उन्हें दूर करना जरुरी है। एक साधारण सा आदमी अपना धर्म बदल लेता है। कुछ मामलों में इसे जबरदस्ती परिवर्तन माना जा सकता है कुछ में लालच को लेकिन सभी मामलों में ऐसा ही होता है यह सही नहीं है।
हमारे देष के नेताओं को किसी के दुःख दर्द की कोई परवाह नहीं है परवाह है तो केवल इस बात की कि हमारी राजनीति कैसे चलती रहे, हम समाचार में कैसे बने रहें। यह सही है कि देष में अब केवल धर्म परिवर्तन ही नहीं राष्ट्र परिवर्तन की बात भी चल रही है। केवल झण्डा फहरा देने से कोई भारत का अंग बन जाएगा तो इसे माना नहीं जा सकता है। कष्मीर के लोगों की क्या समस्या है उसे समझना तथा उस अनुसार उनकी परेषानियों को दूर करने की कोषिष होनी चाहिए। ‘‘राष्ट्रीय एकता यात्रा’’ में जितने लोगों ने भाग लिया में उस पर कोई सवाल न उठाते हुए केवल इतना कहना चाहता हूं कि वही लोग इस बात को वहां जाकर बिना किसी हो हल्ला किए वहां के लोगों के परेषानियों को समझें और इस पर विचार करें इसे कैसे दूर किया जा सकता है।
भाजपा या आरएसएस को धर्म परिवर्तन को रोकने के लिए अगर कुछ करना है तो उसके लिए महाकुंभ का आयोजन करने की कोई आवष्यकता नहीं है। धर्म परिवर्तन करने वालों के मनोभावों को समझे तथा उनकी समस्याओं को दूर करने की कोषिष करें। मैं दावे के साथ कह सकता हूं कि कोई भी साधारण मनुष्य सामान्य परिस्थितियों में अपना धर्म बदलना पसंद नहीं करता है। जहां तक मुझे लगता है धर्म परिवर्तन से पहले लोग को अपने भूत, भविष्य और वर्तमान के बारे में बहुत सोचना-विचारना पड़ता है।

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