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शुक्रवार, 18 अप्रैल 2014

चुनाव और बयान

चुनाव हो और भाषण न हो। ऐसा कभी हो सकता है। भाषण भी विकास को लेकर हो। क्या इससे चुनाव जीता जा सकता है या अपने विरोधी का षिकस्त दिया जा सकता है। नहीं न। तो। तो क्या ऐसा बयान दो कि मीडिया पागल हो जाए और बात चुनाव आयोग तक चली जाए।
अब आज़म खां को ही लिजिए। कारगिल में केवल मुसलमानों ने युद्ध जीता। हिन्दु वहां थे ही नहीं। हो गयी न बात। मीडिया कैसे नहीं इस बात को बढ़ती। पूरा खेल तो मीडिया में बने रहने का है। थोड़ा सा भी आप मीडिया से बाहर हुए कि आपकी राजनीति पर संकट के बादल मंडराने लगते हैं। खैर कारगिल कौन जीता यह तो सब जानते हैं लेकिन बेचारे आज़म खां चुनाव प्रचार से ही हार गए। अब वे चुनाव प्रचार भी नहीं कर पा रहे हैं तो चिट्ठी का सहारा ले रहें हैं। बात जो अपनी कहनी है। मैं चुनावी बयानों को एक-एक करके आपके सामने रखूगां। इसलिए आज के लिए केवल एक बयान ही काफी है। पढ़ो और मजा लो। चुनाव का मौसम है न।

    

रविवार, 13 अप्रैल 2014

बाबा बनने के लिए

यार! अपना खर्च चलाना मुष्किल हो रहा है। रोज का आना रोज का जाना हो गया है। महीना मुष्किल से गुजरता है। अब आषाराम बापू की अकूत संपत्ति को देखकर मन को एक नया आयाम मिल रहा है। धर्म का धंधा सबसे चंगा। सोच रहा हूं धर्म को अपना धंधा बना लूं। इसी के लिए यह प्रतिवेदन आपके सामने प्रस्तुत कर रहा हूं। विचार आमंत्रित हैं। लेकिन केवल सकारात्मक या इस धंधे को आगे बढ़ाने वाले ही विचार हों। साथ ही यदि कोई सहयोग हो सकता है तो बहुत ही उत्तम है। हमारे इस धंधे में जुड़ने के लिए सहयोग राषि की जरुरत नहीं है, कुछ अनुदान से ही काम चल जाएगा। आर्थिक अनुदान नही ंतो भौतिक ही सही। भौतिक भी न हो तो आपकी उपस्थिति से ही काम चल जाएगा। बस अपने साथ कुछ भक्त लेते आओगे तो हमें अच्छा लगेगा।
आइए अब हम अपनी योजना का खुलासा करते हैं। कहा भी गया है कि किसी भी कार्य को करने के लिए उचित योजना का होना आवष्यक है। इसीलिए हम धर्म के धंधे को सफलता के षिखर पर पहुंचाने की योजना बना रहे हैं। कुछ बना भी चुके हैं। जो बना चुका हूं उन्हें आपके सामने परोस रहा हूं। मेरी योजना के मुताबिक पहले कुछ ‘महान बाबाओं’ साक्षात्कार लेना है। इन बाबाओं की फेहरिस्त में आषाराम बापू, निर्मल बाबा जैसों को ही शमिल किया गया है। जो छूट गए हैं उनसे माफी चाहता हूं। वे अपना नाम मुझे ईमेल कर सकते हैं। शर्त केवल यह है कि वे महान हों। जैसे ये दिए गए नाम हैं। 
वैसे मुझे साक्षात्कार देना अच्छा नहीं लगता है। गुप्त बात यह है कि आज तक कोई मेरा साक्षात्कार लेने आया ही नहीं। तो सोचा साक्षात्कार लेकर ही काम चला लेता हूं। योजना के अनुरुप ही मैंने आषाराम से संपर्क गांठा और मुलाकान भी हो ही गयी। आजकल आषाराम बाबा को खोजना बहुत आसान हो गया है। क्योंकि मीडिया उनकी पल-पल हर पल की खबर देता रहता है। बाबा जी से मुलाकात हुई तो मैंने पूछा-‘‘बाबा कैसे बना जाता है?’’ आषाराम थोड़े सोच में पड़ गए। फिर अपने बीते दिनों को याद करते हुए बोले-‘बच्चा! बाबा बनने के लिए आपको चमत्कार करना होगा। ऐसा चमत्कार जो आमिर खान की फिल्म ‘थ्री इडिएट’ में चतुर रामालिंगम राजू ने किया है।’’ मैं कुछ समझ नहीं पाया। अब मुझे एहसास हुआ कि फिल्में भी बाबा बनने के लिए देखना आवष्यक है। बाबा मेरी विवषता को समझते हुए अपनी बातों को स्पष्ट किया। जो बाबा ने कहा मैं आप से साझा नहीं कर सकता हूं। क्योंकि यह व्यवसायिक गुप्त बात है। अपनी रणनीति को चाहे वह किसी भी क्षेत्र की हो उजागर नहीं करना चाहिए। इसीलिए मैं आपको नहीं बता रहा हूं। पहली ही मुलाकात में बाबा ने अपने जैसे कईयों के नाम बता दिए जो आज मजे की जिन्दगी काट रहे हैं। साथ ही सफलता के नुस्खे भी हमारे सामने रख दिए। 
अब आपकी राय आपेक्षित है।
भारत का एक भावी
बाबा