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शुक्रवार, 29 अप्रैल 2011

भावी प्रिये के नाम पत्र

बहुत दिन हो गये आपका कोई ख़त नहीं आया। अब तो तुम केवल मुझे मिस कॉल कर देती हो। कॉल मै कर हे लेता हूँ। लेकिन आपके प्यार भरे पत्र को मै हमेशा ही पड़ना चाहता हूँ। पहले तो तुम मुझे पत्र लिखा करती थी और मै उसे लेकर रात में पढते-पढते सो जाया करता था। कितनी बार तो मेरी माता जी उस पत्र को हटा कर मेरे तकिये के नीचे रख दिया करती थी। माँ मुझसे कभी नहीं पूछती थी कि ये पत्र किसका है क्योंकि घर में मै ही एक ऐसा इन्सान था जो पड़ता था। फोन पर तुमसे बात करने अच्छा तो लगता है लेकिन उसमे वह मजा नहीं आता है जो पत्र को पड़ने में आया करता था।
प्रिये
अब तो तुम कम से कम महीने में एक पत्र तो लिख दिया करो। मै यह भी नहीं कह सकता हूँ क्योकि अब मै खुद भी तो तुम्हे ख़त नहीं लिखता हूँ। केवल फोन पर ही बात हो पाती है।

बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

भावी प्रिये के नाम

मेरी भावी प्रिये,
बसंत का मौसम चल रहा है। आज ११ फ़रवरी है। वेलेनटइन डे अब बहुत दूर नही है। मै गुलाब का फूल कितने सालों से तुम्हारे लिए खरीदता हूँ और अंत में उदास होकर उसे किसी कूड़ेदान में डाल देता हूँ। इस प्रकार कब तब तुम आँख मिचौली खेलती रहोगी। आख़िर अब तो तूम्हारे बचपन के दिन नही है। अब यह बंद करो और आकर मुझे अपने बाँहों में भर लो।
प्रिये मै तुम्हारे साथ अपना सारा जीवन बिताना चाहता हूँ। मै चाहता हूँ कि तुम्हारे साथ किसी निर्जन स्थान पर बैठ कर बहुत सी प्यार भरी बातें करू। उस स्थान पर केवल पानी के बहने की आवाज आए और कुछ भी सुनाई न दे। वह पानी तुम्हारे पैरों को छूकर तुम्हारे चरणों के कमल को लेकर दूर तक जाए। साथ में मेरी आरजू भी रहे। जिससे सभी को यह पता चले कि कोई तुम्हारे कमल की खुशबु को बहुत चाहता
प्रिये
मै बहुत दिनों से सोच रहा हूँ कि मै तुम्हारे साथ किसी होटल में एक कप कॉफी पिता। कॉफी की महक के साथ मै तुम्हारे सांसों की खुशबु को अपने अन्दर ले लेता। मुझे इस बात की चाहत नही है कि मै वहां पर रात बिताऊ। मै उसके बाद सीधे घर वापस लौट आना चाहुगा।
किसी पार्क में बैठ कर मै तुमसे देश दुनीya के परे कि बात करना चाहता हूँ।
अच्छा चलो बहुत हो गया। कम से कम अब तो मेरे उपर अपने प्यार के बादलों की बारिस कर दो। जल्दी ही तुम्हें मैं दूसरा पत्र लिखूंगा। हो सके तो इसका जबाब देना।
तुम्हारा
उमेश कुमार