गुरुवार, 9 जून 2011

विद्यार्थी जीवन – सबसे बड़ा अमीर और सबसे बड़ा गरीब

विद्यार्थी जीवन के अंपने फायदे और नुकसान होते हैं. मेरा विद्यार्थी जीवन लगभग समाप्त होने वाला है. और जब मै इसका मूल्यांकन करने की कोशिश की तो यही पाया की इसके फायदे ज्यादा और नुकसान कम रहे हैं. इस जिंदगी में न तो मै कभी गरीब हुआ और न ही कभी अमीर. हमेशा बराबर का मामला रहा है. १-५ तारीख तक पिता जी का भेजा हुआ पैसा आ जाता था और २० दिन मजे से बीत जाते थे उसके बाद शुरू होता था दोस्तों मांगने का सिलसिला. लेकिन सब की तो वही जिंदगी है और सब पप्पा छात्रवृत्ति पर ही तो निर्भर हैं. तो वह लोग भी थोडा-थोडा देते थे और उसके पहले ही एक सवाल पूछ लेते थे “कब दोगे” जिसका जबाब भी एक ही होता था “बहुत जल्दी” और वह बहुत जल्दी फिर वही १-५ तारीख के बीच में ही आता था.
पैसा आया और शुरू हुआ पार्टियों का दौर. २-४ दिन किसी अच्छे से होटल में खाना खाना. दोस्तों के साथ थोड़ी मस्ती. इस तरह से पता ही नहीं चलता था कि कब २० तारीख आ गयी. २० के बाद तो दिन काटता ही नहीं है. एक एक दिन एक एक साल के बराबर लगने लगता है क्योकि पैसा खत्म हो गया. दोस्तों की मेहरबानी शुरू हो गयी.
खैर विद्यार्थी जीवन के अपने ये मजे हैं. इन्हें किसी और जिंदगी में जीने के बारे में सोचा भी नहीं आ सकता है. क्योंकि उसके बाद तो शुरू होता है जिम्मेदारियो का दौर. जिसमे सभी की कुछ न कुछ अपेक्षा होती है. मम्मी-पापा चाहते हैं की बेटा अब काम करना शुरू करे तो क्या गलत चाहते हैं. लेकिन अभी बेटे पर मस्ती ही चडी हुई है तो वह क्या करे. आखिर स्टूडेंट लाइफ को इतनी जल्दी तो नहीं भुलाया जा सकता है.

2 टिप्‍पणियां:

  1. mai sehmat nahi hu amir hote hai kuchh log, mobile me paise daal dal kr ladkiyo se batiyaane waale bhi hote hai, kuchh ehsaan jatane wale hote hai kuchh kharch karwane hote hai jo sirf dusaro ko hi chay pilaane ke liye kahte hai, bahuto ke liye pura mahina tangi me bitata hai, kuchh log ka kasam kha rakhe hote hai ki ghar se nahi mangunga, ek kehani hoti hai unake paas "ab ghar se paisa lena achha nahi lagata hai" itane bade ho gaye hai, kamane ka pressure hai...
    Jiten

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