गुरुवार, 22 नवंबर 2007

एक ही वतन

कौन है इस जग में
जो दुखी न हो
पर अमूर्त चीज़ से भी जो दुखी हो
सच में वह महान है
दुनिया में हर रोज़ सब
इधर- उधर भागते रहते हैं
अपनी शांति के लिए
नही किसी और के लिए
तो ...............

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