शनिवार, 22 मार्च 2014

क्या छपता है अखबारों

आज जब मैं अखबारों के पन्ने पलट रहा हूं
सुबह के सात बज रहे हैं
कि
अचानक एक पृष्ट पर मेरी नजर रुक जाती है
बुन्देलखण्ड जागरण
पूरा पृष्ट देखा
पूरा बुन्देलखण्ड देखा
एक नया राज्य बनने को आतुर बन्देलखण्ड
पूरे पृष्ट पर कहीं भी नहीं था विकास
कहीं भी नहीं थी
पानी, बिजली, सड़क जैसी मूलभूत समस्याएं
कहीं भी नहीं था किसानों के हितों की बातें
बुन्देलखण्ड जागरण में केवल अपराध था
पृष्ट पर लगभग 15 खबरें हैं
जिनमें से 11 खबरें
हत्या, मौत, मारपीट
लडाई, दंगा और लूटपाट की
सवाल यह नहीं कि अखबार में क्या छपा है
सवाल यह है कि क्या बुन्देलखण्ड ऐसा ही राज्य बनने जा रहा है
क्या इसे एक राज्य का रुप देेने में लगे लोग ऐसा ही बुन्देलखण्ड बनाना चाह रहे हैं
क्या रानी लक्ष्मीबाई ऐसे ही बुन्देलखण्ड के लिए शहीद हुई थी
इन सब सवालों के अन्दर जाने पर हमें दिखाई देती है
एक वेदना
जो कहा रही है
बुन्देलखण्ड वीरों की धरती है
चोरांे, लुटेरों की नहीं

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