बुधवार, 6 मई 2009

Development and we

Development is a very debatable matter in our society. In India there are too many NGOs and GOs for development. But what is development and what kind of prosperity India wants. It is a matter which should be solved immidatly. Development means not to develop only Economy and Technology. It means to develop more human dignity, safty, justice and equality.
On the first Independance Day Jawahar Lal Nehru has laid down broadly the parameters within which development had to be persued- The ending of poverty and ignorance and and disease and inequality of opportunity. In this context, Sen say- Economic growth is important but it is valuable precisely because it helps to eradicate deprivation and to improve capabilities and quality of life of ordinary people.
For national developmet India adopted five year plan. If we pay a sharp eyes on these plans we find that these does not create a sustainable development. Our Natural resources are near to disappear form the world. Since Independance, India has made significant progress in several area of Economy and Human development. Food production has gone up to provide adequate lavel of food securit, Infrastructre development has been satisfactory, a vast pool of traind Human resources has been developed. But on the other hand, there are about 260 million persons or about 26 per cent of population still continue to be below the normative poverty live. poverty is viewed not only in term of lack of adequate income but as a state of deprivation spanning the economic and social context of the people. they do not earn one dollor in a day. Near about 40 per cent childs are unable to celebrate their fifth birthday.
Education rate is still 56 per cent in India. National Human Development Report 2001 says; Some of the challenges and concerns in the area of political governance are criminalisation of public life, politics of vote bank, communal violence and corruption increasing very fastly.
Now we come back on Human development. what is Human development. Its says that HUMAN DEVELOPMENT IS THE END. ECONOMIC AND SOCIAL SECTOR DEVELOPMET ARE THE MEANS. We can identifies the human development by three dimension of well-beings
1) Longevity 2) Education 3) Command over resources
Human development is the development of the people, for the people and by the people. The 1990 seen the seting up of quite a few progressive institutions, formulation of several useful social policies and passing of a few progressive bills. there are some of them;
Institutions-
1) National Commission on Women in 1992 under the NCW Act, 1990.
2) National Human Right Commission set up in 1994, under the protection of Human Right Act 1993.
3) Consumer Protection Courts.
Policies-
1) Draft national policy on Women formulated in 1996.
2) National plan of action for children in 1992.
3) National plan of action for the girl child in 1991-2000.
Programmes
1) Mahila samridhi yojana.(MSY) lanched in 1993.
2) Joint Forest Managment (JFM).
People are the most valuable resources and the real wealth of Nation. So the development of the people is the development of the Nation. thus the first duty of the Government is to develop the quality of his people.

बुधवार, 11 फ़रवरी 2009

भावी प्रिये के नाम

मेरी भावी प्रिये,
बसंत का मौसम चल रहा है। आज ११ फ़रवरी है। वेलेनटइन डे अब बहुत दूर नही है। मै गुलाब का फूल कितने सालों से तुम्हारे लिए खरीदता हूँ और अंत में उदास होकर उसे किसी कूड़ेदान में डाल देता हूँ। इस प्रकार कब तब तुम आँख मिचौली खेलती रहोगी। आख़िर अब तो तूम्हारे बचपन के दिन नही है। अब यह बंद करो और आकर मुझे अपने बाँहों में भर लो।
प्रिये मै तुम्हारे साथ अपना सारा जीवन बिताना चाहता हूँ। मै चाहता हूँ कि तुम्हारे साथ किसी निर्जन स्थान पर बैठ कर बहुत सी प्यार भरी बातें करू। उस स्थान पर केवल पानी के बहने की आवाज आए और कुछ भी सुनाई न दे। वह पानी तुम्हारे पैरों को छूकर तुम्हारे चरणों के कमल को लेकर दूर तक जाए। साथ में मेरी आरजू भी रहे। जिससे सभी को यह पता चले कि कोई तुम्हारे कमल की खुशबु को बहुत चाहता
प्रिये
मै बहुत दिनों से सोच रहा हूँ कि मै तुम्हारे साथ किसी होटल में एक कप कॉफी पिता। कॉफी की महक के साथ मै तुम्हारे सांसों की खुशबु को अपने अन्दर ले लेता। मुझे इस बात की चाहत नही है कि मै वहां पर रात बिताऊ। मै उसके बाद सीधे घर वापस लौट आना चाहुगा।
किसी पार्क में बैठ कर मै तुमसे देश दुनीya के परे कि बात करना चाहता हूँ।
अच्छा चलो बहुत हो गया। कम से कम अब तो मेरे उपर अपने प्यार के बादलों की बारिस कर दो। जल्दी ही तुम्हें मैं दूसरा पत्र लिखूंगा। हो सके तो इसका जबाब देना।
तुम्हारा
उमेश कुमार

लोकतंत्र या गुंडा तंत्र

लोकतंत्र यानि गुंडा तंत्र
गुंडों का राज्य
मूर्खों का बहुमत
धूर्तों के साथ
मुर्ख राज्य की स्थापना
सुख स्वप्न के साथ
नीति की हत्या
अनीति का बोलबाला
वेश्या की अर्चना
सती का मुह काला
पर स्त्री गमन को आदर्श
चरित्र हीनता को शाबाशी
समझदार को नमस्कार
न समझ की जयकार
क्या
यही है हमारा लोकतन्त्र
मेरे यार

रविवार, 14 दिसंबर 2008

जो सवाल मैंने नही पूछा

जो सवाल कभी मेरे दिमाग में नही आया
वही सवाल कल मुझसे पूछा जाएगा
पापा, आपके किस नम्बर की प्रेमिका की औलाद हूँ मै
यह सवाल सहज ही पूछा जाएगा।
कितने प्रेम किए, कितने में सफल हुए,
अभी कितनों से प्यार किया जाएगा।
बहुत हराम के बच्चे हैं जहाँ में ,
उनमे से किसे तुम्हारा कहा जाएगा.
तुम सफ़ेद वस्त्र पहन कर निकलते हो
सदा तुम्हारा जयकार किया जाएगा
जो सवाल अभी मेरे दिमाग में नही है ,
वही सवाल कल मुझसे किया जाएगा।

शनिवार, 6 दिसंबर 2008

क्या दवा बनाई है आप ने

कांग्रेस के पास हर एक मर्ज की दवा है। जुकाम से लेकर एड्स तक की। खास बात यह है कि सभी बिमारिओं की दवा एक ही है। इसे रामबाण कहना चाहिए। इससे सारी बीमारियाँ दूर हो जाती है।
आपको पता है आतंक के दर्द को कम करने की दवा क्या है। नही जानते। चलो सर्वरोग ज्ञाता कांग्रेस से पूछते हैं। वाह...वाह क्या दवा बनाई है। बता देता हूँ क्या दवा है--- जनता को हीरो और हीरोइनों में या क्रिकेट में उलझा दो। वह सारे गम भूल जायेगी। चाहे वह गम आंतकवादी वारदातों का हो या किसानों की आत्महत्या का।

रविवार, 30 नवंबर 2008

क्या चाहते हो?

फूल खिलने से पहले ही मुरझा जाए
उस बाग के माली क्या चाहते हैं।
अपने ही घर में हम सहमें रहें
इस घर के मालिक क्या चाहते हैं।
वारदातें होती रहें और लोग मरते रहें
इस देश के नेता क्या चाहते हैं।
जले सारा देश आतंकवाद की आग में
हमारे नीतिनिर्माता क्या चाहते हैं।
अभी तक जितने मरे इन वारदातों में
उनसे भी अधिक क्या चाहते हो
कुछ नही चाहते हैं।
चाहोगे भी तो क्या चाहोगे?
अपनी कुर्सी के लिए वोट चाहोगे
वोट के लिए एक दुसरे को लड़वाओगे
एक का पक्ष तुम और दुसरे का तुम्हारा विपक्षी ले लेगा
और कुर्सी Tअरह बची रहेगी
धिक्कार है तुम्हारी इच्छशक्ति की
कोई भी तुम्हारे घर में तुम्हे डरा जाता है
और तुम
" हम इसकी निंदा करते हैं "

किसका बाल-दिवस

चौदह नवम्बर को एक तस्वीर देखी
समाचार पत्रों में,
चाचा के साथ खड़े थे
कोट पहने तीन बच्चें
अखबारी दुनिया से
आठ बजे तक बाहर आया
सड़क पर मैला उठाते
एक बच्चा देखा
अब बताओ
यह बाल दिवस किसके लिए ?
नही समझे
अरे भाई
कोट वालों के लिए
और किसके लिए।