सोमवार, 19 मई 2008

ये कैसा लोकतंत्र

आओ एक झुनझुना बजायें
आजादी का गीत गाकर
अपने मन को संतोष दिलाएं। आओ....... ।
सरकारें बदलती रही कुर्सी वही रही
जनता के उपर पुलिस भी मेहरबान रही।
कैप्टन हों या बादल दोनों नेता ही हैं।
पुलिस उनकी लाठी और जनता भैस है
अपना हक मांगना, और न मिलाने पर रोष करना
उनके लिए गलत बात है
नेता जी बोले चुनाव के समय -
महिला देश का आधार हैं,
लोकतंत्र में उनकी अलग पहचान है
सरकार हमारी होगी तो कष्ट दूर तुम्हारे होंगे
पर हाय
सरकार तो बन गई बादल की
और हमें झुनझुना दे दिया
कह दिया
बच्चों बजाना मना है।
अधिकार संविधान में है
पर
मांगना मना है।

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