मंगलवार, 8 सितंबर 2009

रियालिटी शो का रियल

वर्तमान समय में इलेक्ट्रानिक मीडिया खासकर टेलीविजन पर रियालिटी शोज की भरमार है। लेकिन इसमें भाग लेने वाले उम्मीदवार अपने को एक सहज स्थिति में नहीं पाते हैं। ‘वार परिवार’ रियालिटी शो की एकता नाम की पार्टीसिपेंट ने कहा भी कि- अगर शो में टार्चर होके, डामिनेट होके करना है तो देयर इज नो प्वांइट आँफ डूइंग इट। रियालिटी शो में तो स्थिति यह आ गई है कि कहीं नस्लभेदी टिप्पणी की जाती है तो कहींपार्टिसिपेंट आपस में हाथापाई पर भी उतर आते हैं। 9एक्स पर एक रियालिटी शो शुरु हुआ- ‘वाॅलीबुड का टिकट’। इस रियालिटी शो के पार्टीसिपेंट में टेलीविजन कलाकार चेतन हंस राज जो कि बतौर पार्टीसिपंेट आए और एक नव आगन्तुक और पुनीत के बीच हाथापाई हो गई। रियालिटी शो में यह पहली घटना नहीं थी कि इस तरह की हाथापाई हुई। बाल अधिकारों को लेकर मीडिया में बहुत चर्चा हुई है। एक अनुमान के मुताबिक सबसे ज्यादा बाल अधिकारों का हनन रियालिटी शोज में होता है। जजों के द्वारा बच्चों को मानसिक रुप से इस कदर प्रताड़ित किया जाता है कि वे जीव भर के लिए विक्षिप्त हो जाते हैं। बांग्ला चैलन के एक रियालिटी शो में षिंजिनी से गुप्ता के साथ जजों ने इतने बुरे तरीके से बर्ताव किया कि वो लड़की दिमागी तौर पर बीमार पड़ गई। अब स्थित यह है कि वो लड़की न बोल सकती है न ही सोच सकती है। रियालिटी शोज में जज अब अति पर उतर आए हैं। बच्चों को लेकर तारीफ और बुराई का पुल बांधते हैं ये जज। अगर कोई अच्छा कर रहा है तो आसमान पर चढ़ देते हैं और उसी तरह जमीन पर भी गिरा देते हैं। सुधाीष पचैरी कहते हैं कि पुराने जमाने के बेरोजगार हो चले सितारे अब जज बनकर बैठ जाते हैं। रियालिटी शो में आने के लिए वे मानक निर्धारित करते हैं। ये जज उस मानक को अपने जमाने के अनुसार तय करते हैं। अतः इसमें स्वाभाविकता का होना संभव नहीं प्रतीत होता है।

रियालिटी शो किचड़ उछालने का शो बनता जा रहा है। एक प्रतिभागी दूसरे पर जितना किचड़ उछाले वह उतना ही रियल है। रियालिटी शो प्रतिभा को आगे लाने का नहीं दुष्मनी बढ़ाने का शो बनते जा रहे हैं। हालात ये है कि चैनल एक पार्टीसिपेंट को दूसरे के खिलाफ, एक घराने को दूसरे घराने के खिलाफ, एक मेंटर को दूसरे मेंटर के खिलाफ, यहां तक की एक राज्य का दूसरे राज्य के खिलाफ इस कदर खड़ा करते हैं कि मानों वे दोनों आपस में म्यूजिकल प्रोग्राम को टक्कर नहीं दे रहे हैं, वर्षों पुरानी दुष्मनी निकाल रहे हैं।

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