रविवार, 18 मई 2008

घर के चिराग से लगी आग

घर कि स्थिति ख़राब होने पर घर का ही दीपक उसे जलाने में कोई कोर-कसार नही छोड़ता है। खाक का एक ढेर बना कर वह इस बात पर खुशी जाहिर करता है कि मुझमें चींटी की जैसी ताकत होने पर भी हाथी को मार दिया । जब बात चींटियों के सरदार के अमले का हो तो बात ही कुछ और ही है। उपर से सरकार मेहरबान नीचे से जनता का सम्मान। भला और क्या चाहिए मुझे अपने काम को अंजाम देने के लिए।

आये दिन सरकार नशीले पदार्थों के व्यापार को रोकने के लिए बनती है। कानून बनाकर उसकी धज्जियाँ उड़ना भी उसे अच्छी तरह से आता है। कानून बनने वाले अपने को कानून का बाप समझाते हैं और कानून को अपना बेटा। अर्थात मैं इससे बड़ा हूँ तो क्यों न इस पर शासन करूँ। अकाली दल के एक नेता ने जिस प्रकार से हेरोइन को एअरपोर्ट पर ले जा रहा था और पकड़ा गया। यह अनुमान लगाया जा रहा हैं कि वह करीब २२किलो ७५०ग्राम थी। अर्थात लगभग २२करोड रुपये की। यह बात अच्छी हैं कि उसे पुलिस वालों ने नही पकड़ा नही तो एक ही डाट मैं छोड़ दिए होते। ये वही नेता महाशय हैं जो विधानसभा में इस बात पर जब बिपछ में होतें हैं तो सरकार की आलोचना करते हैं।

कभी-कभी ऐसा लगता हैं कि अवैध नशीले पदार्थ का व्यापार करने में राजनेता के प्यारे ज्यादा ही उत्सुक हैंसंइया भइल कोतवाल, अब डर कहे का।" इस बात को सार्थक सिद्ध करना उनके बाएं हाथ का खेल लगता हैं। आखिर कब तक घर का ही चिराग घर को जलाएगा। जहाँ तक इस देश के बार में मैंने समझा हैं वह यह हैं कि यहाँ अगर किसी बात को खुली छोड़ दी जाए तो शायद वह रुक सकती हैं।

एक बार मेरे गाँव में एक जादूगर जादू दिखाने आया था। मंगलवार का दिन था। बाजार लगी हुई थी। मै अपने एक अध्यापक महोदय के साथ गया था। सभी लोग वहां बच्चों से कह रहे थे पीछे-पीछे और पीछे हटो। बच्चें आगे बढते जा रहे थे। ये महोदय पहुचते ही कहा और आगे बढो। बच्चे पीछे लौटने लगे। मुझसे रहा नही गया। मैंने पूछे लिया आखिर आप आगे बढने को क्यों कहा रहे हैं। उन्होंने बताया कि ये सोच रहे हैं कि लोग हमें आगे बढने से मना कर रहे हैं कि आगे कोई डर नही हैं। इन बातों का उल्टा असर अधिक होता हैं। इसीलिए आगे बढने को मैंने कहा था। इस बात को मै कई जगह पर सत्य होते देख चुका हूँ।

मैं सोचता हूँ कि अगर इस पर से भी सरे बंधनों को हटा दिए जाए तो शायद नशीले पदार्थों का कारोबार कुछ लोग ही करेगें और अधिकतर इससे बच सकते हैं। कम से कम हमारे नेता तो इस मुहावरे से निजात पा ही जायेगे कि "Ghar का ही चिराग घर को जला रहा हैं।"


गुरुवार, 15 मई 2008

याद आ गयी

तेरे इस रूप यौवन को देखा ही था कि
मुझे मेरी प्रेमिका याद आ गयी।
जब कभी तुमसे बातें हुई तो
उसके साथ हुई बातें याद आ गयी।
निकलता हूँ जब कभी कालेज के लिए
तेरी मुलाकात से उसकी मुलाकात याद आ जाती है।
चाहता बहुत हूँ भूल जाऊ उसे पर
भुलाने के बहने वह याद आ गयी।
कभी-कभी तो तुमको मुझसे गुस्सा होना
मुझे उसके रूठने की याद दिला जाती है।
जब तुम मुझसे बहुत दूर होती हो तो
दिल की तस्वीर में चेहरा देखा तुम्हारा और वह याद आ गयी।

मंगलवार, 5 फ़रवरी 2008

नारी तेरी महिमा

हे देवताओं की देवी मह्देवी! तेरे चरणों में मेरा भी स्थान बने। लड़का लडकी बने। लडकी लड़का बने। लडकी दूल्हा बन कर आये और लड़का रोता हुआ जाये। मैं घर का काम करू और तुम दुनिया का काम करो। मुझे चाहे गुलाम कहो या जोरू का गुलाम लेकिन मुझे अपने चरणों में दे दो पनाह।


हे कानून के निर्माता! देश के भाग्य विधाता! लड़कों पर भी जरा रहम तो कर दो। हमें भी संसार की आजादी का लुफ्त तो उठाने दो। क्यों हमे जोरू का गुलाम बना रहे हो। सभी से आजाद होकर भी हम स्त्रियों के गुलाम हैं। घर में रहना है तो चरणों को धोकर सीता के राम को पीना है।

हे नारी! दुनिया के शासनकार- तेरा शासन है संसार में। हमको तो लूट लिया है अपने वालों ने। गोरे-गोरे गालों ने काले-काले बालों ने। अब आप हमें लूटे न। सरदार की तरह यह कह दें कि ऐ गाँव वाले मर्दों जो तुम्हारे पास हो उसे इज्जत से निकल कर मुझे दे दो अन्यथा मै तुम्हें हवालात के अंदर करवा दूंगी। आज के कानून के आगे हम भीगे चूहे की तरह आप के आगे आ जायेगें फिर जो मर्जी करो।


हे जन्मदायिनी माता! तुम माता भी हो पत्नी भी हो, बहन और भाभी भी हो। तुम्ही भाग्य की निर्माता भी हो और हमें हवालात पहुचने वाली भी। हम तो तेरे गुलाम हैं सदियों से यह मत समझो कीआज से हम तो उस कुत्ते के समान के हैं जो घर की रखवाली करे और खाना न खाए। हे लेडी तुम चाहे लात से मरो चाहे गाली दो । मै हाथ नही उठाऊगा क्योंकि तुम मालिक हो और मैं आपक गुलाम।


हे विधि के निर्माता! एक और कानून मत बना देना। महिला आरक्षण में हमen निरक्षर न बना देना हम तो आप के दया के पात्र हें तुम जेसा चाहो कानून बनाओ हम न नही कर सकते हैं।हम विरोध नही कर सकते हैं। तुम भी तो देवी की पूजा करती हो वाही विरोध कर सकती है। मगर कैसे? तुम तो उन्हीं के पक्षधर ही हो।

हे संविधान के निर्माता! तुम्हारी भी गलती कहें तो हम खुद ही गलत हैं। आज चौराहों पर बेचारे निर्दोषों को पीट रहे हैं। क्योंकि एक लडकी ने उसे मारा था वह भी सड़क पर तो हम तुम्ही से गिला-शिकवा करें। हम तो अपने से भी नही कर सकते हैं। जब महारानी को दुनिया सुन रहा है तो इसे एक पुस्तक में लिखने में कोई बुराई नही है। तुम भी सही ही हो।


हे अबला! अब तुम्हारी कहानी बदल रही है। अब तो tumhaare अंचल में दूध नही वह तो क्या है हमें खुद ही नही मालूम है। तुम अब अबला कहाँ हो तुम तो अब मर्दों को भी पीछे पीछे छोड़ रही हो अबला तो अब मर्दों को कहे। अब उनके अन्दर इतनी ही क्षमतानही है कि वह आप से बराबरी कर सके ।

रविवार, 3 फ़रवरी 2008

दुनियादारी

जंगल का राजा इक दिन बोला


आज मुझे है सैर पर जाना


घर में रहना महल, में सोना ,


मुझको नही सुहाता है

मैं भी दुनिया देखूं भला


मेरी बात न जाये टाली


राजा के yaron ने इसका बिरोध किया


राजा ने सबको यह समझाय दिया


तुमको भी दुनिया देखने का

ऐसा मौका न जाय चला


हम सबको धन देकर


दुनिया का सैर कराउगा

राजा की बातों को सुनकर


कुछ ने सोचा की मेरा काम बना


इसी बहाने धन की तो


आने की है राह बना


भेज दूंगा किसी और को


तो क्या मेरा जाएगा


बदले में सैर नही पर


धन का भंडार भर जायेगा।

सब तेरा है

दुनिया में सब तेरा है

बस आँख उठा कर देखो तो

तू ही महान, तू ही दयावान

तू ही है सब का आसमान

लेकिन इस दुनिया में हमने

तेरे कई रुप हैं देखे

कहीं प्यार, कहीं तकरार

कहीं ये दोनों हैं ख़बरदार

अत्याचार बढे दुनिया में

हाथ तुम्हारे कभी न कापे

दुनिया में आने से पहले

तुने ही है मार दिए

धन्य नारी! तेरी ये महिमा

तुझमें अब दुनिया का रहना

रोओगी अपनी करनी पर

पानी नही तुझे है मिलना।

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2008

जो सभी को चाहता है।

अपनी बाँहों में भरने के लिए
उतावला खड़ा है
अपनी बाँहों को फैलाये
स्वागतम कह रह है
तुम उससे प्यार करो या न करो
पर
वह तुम्हारा सच्चा प्रेमी है
आज नही तो कल
वह तुमसे जरूर मिलेगा
पर
कोई निश्चित स्थान नही
तुमसे मिलने के लिए
तुम्हारे घर भी आ जाएगा
बिना पते का ही
रास्ते में भी मिल सकता है
फिर
प्यार से उठा कर साथ ले जाएगा
अपने घर को
और तेरा आदर-सत्कार
वह खूब करेगा।

मंगलवार, 1 जनवरी 2008

उत्साहित मन से तुम्हें पुकार लू


सभी मस्त है तुम्हे चूम लू


आ आज पूरे दिल से


तुमसे मुहब्बत कर लू


तू दूर जा रही है


तेरा आज मैं स्वागत कर लू


कल सभी नये सूर्य का स्वागत करेगें


सभी हैप्पी न्यू इअर कहेगें और


तुझे भुलाना चाहेगें


इसलिए


ओ दूर जाने वाले


तेरे लिए दो बूंद आसू गिरा लू


इस जिन्दगी में तू अब मिलेगा नही


बस एक याद ही छोड़ जाएगा


एक बार फिर तेरे गले लग लूँ


आ आज मैं तेरा स्वागत कर लूं।