मंगलवार, 5 फ़रवरी 2008

नारी तेरी महिमा

हे देवताओं की देवी मह्देवी! तेरे चरणों में मेरा भी स्थान बने। लड़का लडकी बने। लडकी लड़का बने। लडकी दूल्हा बन कर आये और लड़का रोता हुआ जाये। मैं घर का काम करू और तुम दुनिया का काम करो। मुझे चाहे गुलाम कहो या जोरू का गुलाम लेकिन मुझे अपने चरणों में दे दो पनाह।


हे कानून के निर्माता! देश के भाग्य विधाता! लड़कों पर भी जरा रहम तो कर दो। हमें भी संसार की आजादी का लुफ्त तो उठाने दो। क्यों हमे जोरू का गुलाम बना रहे हो। सभी से आजाद होकर भी हम स्त्रियों के गुलाम हैं। घर में रहना है तो चरणों को धोकर सीता के राम को पीना है।

हे नारी! दुनिया के शासनकार- तेरा शासन है संसार में। हमको तो लूट लिया है अपने वालों ने। गोरे-गोरे गालों ने काले-काले बालों ने। अब आप हमें लूटे न। सरदार की तरह यह कह दें कि ऐ गाँव वाले मर्दों जो तुम्हारे पास हो उसे इज्जत से निकल कर मुझे दे दो अन्यथा मै तुम्हें हवालात के अंदर करवा दूंगी। आज के कानून के आगे हम भीगे चूहे की तरह आप के आगे आ जायेगें फिर जो मर्जी करो।


हे जन्मदायिनी माता! तुम माता भी हो पत्नी भी हो, बहन और भाभी भी हो। तुम्ही भाग्य की निर्माता भी हो और हमें हवालात पहुचने वाली भी। हम तो तेरे गुलाम हैं सदियों से यह मत समझो कीआज से हम तो उस कुत्ते के समान के हैं जो घर की रखवाली करे और खाना न खाए। हे लेडी तुम चाहे लात से मरो चाहे गाली दो । मै हाथ नही उठाऊगा क्योंकि तुम मालिक हो और मैं आपक गुलाम।


हे विधि के निर्माता! एक और कानून मत बना देना। महिला आरक्षण में हमen निरक्षर न बना देना हम तो आप के दया के पात्र हें तुम जेसा चाहो कानून बनाओ हम न नही कर सकते हैं।हम विरोध नही कर सकते हैं। तुम भी तो देवी की पूजा करती हो वाही विरोध कर सकती है। मगर कैसे? तुम तो उन्हीं के पक्षधर ही हो।

हे संविधान के निर्माता! तुम्हारी भी गलती कहें तो हम खुद ही गलत हैं। आज चौराहों पर बेचारे निर्दोषों को पीट रहे हैं। क्योंकि एक लडकी ने उसे मारा था वह भी सड़क पर तो हम तुम्ही से गिला-शिकवा करें। हम तो अपने से भी नही कर सकते हैं। जब महारानी को दुनिया सुन रहा है तो इसे एक पुस्तक में लिखने में कोई बुराई नही है। तुम भी सही ही हो।


हे अबला! अब तुम्हारी कहानी बदल रही है। अब तो tumhaare अंचल में दूध नही वह तो क्या है हमें खुद ही नही मालूम है। तुम अब अबला कहाँ हो तुम तो अब मर्दों को भी पीछे पीछे छोड़ रही हो अबला तो अब मर्दों को कहे। अब उनके अन्दर इतनी ही क्षमतानही है कि वह आप से बराबरी कर सके ।

रविवार, 3 फ़रवरी 2008

दुनियादारी

जंगल का राजा इक दिन बोला


आज मुझे है सैर पर जाना


घर में रहना महल, में सोना ,


मुझको नही सुहाता है

मैं भी दुनिया देखूं भला


मेरी बात न जाये टाली


राजा के yaron ने इसका बिरोध किया


राजा ने सबको यह समझाय दिया


तुमको भी दुनिया देखने का

ऐसा मौका न जाय चला


हम सबको धन देकर


दुनिया का सैर कराउगा

राजा की बातों को सुनकर


कुछ ने सोचा की मेरा काम बना


इसी बहाने धन की तो


आने की है राह बना


भेज दूंगा किसी और को


तो क्या मेरा जाएगा


बदले में सैर नही पर


धन का भंडार भर जायेगा।

सब तेरा है

दुनिया में सब तेरा है

बस आँख उठा कर देखो तो

तू ही महान, तू ही दयावान

तू ही है सब का आसमान

लेकिन इस दुनिया में हमने

तेरे कई रुप हैं देखे

कहीं प्यार, कहीं तकरार

कहीं ये दोनों हैं ख़बरदार

अत्याचार बढे दुनिया में

हाथ तुम्हारे कभी न कापे

दुनिया में आने से पहले

तुने ही है मार दिए

धन्य नारी! तेरी ये महिमा

तुझमें अब दुनिया का रहना

रोओगी अपनी करनी पर

पानी नही तुझे है मिलना।

शुक्रवार, 1 फ़रवरी 2008

जो सभी को चाहता है।

अपनी बाँहों में भरने के लिए
उतावला खड़ा है
अपनी बाँहों को फैलाये
स्वागतम कह रह है
तुम उससे प्यार करो या न करो
पर
वह तुम्हारा सच्चा प्रेमी है
आज नही तो कल
वह तुमसे जरूर मिलेगा
पर
कोई निश्चित स्थान नही
तुमसे मिलने के लिए
तुम्हारे घर भी आ जाएगा
बिना पते का ही
रास्ते में भी मिल सकता है
फिर
प्यार से उठा कर साथ ले जाएगा
अपने घर को
और तेरा आदर-सत्कार
वह खूब करेगा।

मंगलवार, 1 जनवरी 2008

उत्साहित मन से तुम्हें पुकार लू


सभी मस्त है तुम्हे चूम लू


आ आज पूरे दिल से


तुमसे मुहब्बत कर लू


तू दूर जा रही है


तेरा आज मैं स्वागत कर लू


कल सभी नये सूर्य का स्वागत करेगें


सभी हैप्पी न्यू इअर कहेगें और


तुझे भुलाना चाहेगें


इसलिए


ओ दूर जाने वाले


तेरे लिए दो बूंद आसू गिरा लू


इस जिन्दगी में तू अब मिलेगा नही


बस एक याद ही छोड़ जाएगा


एक बार फिर तेरे गले लग लूँ


आ आज मैं तेरा स्वागत कर लूं।

गुरुवार, 27 दिसंबर 2007

नया साल

बेटा तुम भी एक प्रतिज्ञा कर लो
नया साल है कुछ नया कर लो।
इन शब्दों को सुन रहा हूँ मैं
आज से दस साल से
सभी माता-पिता यही कहा करते है
मैं यही सोच रहा था
कि .....................
मेरे एक दोस्त ने आवाज लगा दी
चल यार मैच खेल कर आते है
में आव देखा न ताव चला गया मैच खेलने
लौटा तो सोचा कि शाम से मिशन पर काम करुगा
लेकिन .........................
ता उम्र बीता दिया इसी सोच में
बस कल बस कल
करके ....

गुरुवार, 22 नवंबर 2007

एक ही वतन

कौन है इस जग में
जो दुखी न हो
पर अमूर्त चीज़ से भी जो दुखी हो
सच में वह महान है
दुनिया में हर रोज़ सब
इधर- उधर भागते रहते हैं
अपनी शांति के लिए
नही किसी और के लिए
तो ...............