दुनिया आपकी
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रविवार, 14 सितंबर 2008
ट्रेन छूटने तक
तुम्हारे हाथ को हिलते देखने के लिए
मैं खड़ा रहा
ट्रेन छूटने तक।
आज भी जब कोई ट्रेन गुजरती है
मैं खड़ा होकर उसे देखता रहता हूँ
गुजर जाने तक ।
आशा लगाये रहता हूँ कि
किसी दिन तुम आओगी उसी ट्रेन में
लेकिन वक्त ऐसे ही निकल जाता है
तुम्हें याद
करते-
करते ।
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