बुधवार, 3 अक्तूबर 2007

कौन-मरा

आज मेरे सामने एक दुर्घटना घटी
साइकिल से मैं घर आ रहा था कि
कार ने एक आदमी को कुचल दिया
बेफ्रिक सभी दौडे चले जा रहे थे
सड़क के पर पड़ा था वह
तड़पता हुआ
अंत हो गया उसका
सुचना पुलिस को भी गई
वह आई तो देखा खेल ख़त्म है
तब्तीश के लिए लोगों से बयान मागें
तो सभी ने कह दिया
साहब ! हम अभी यहाँ आये
किसी ने कुछ नही कहा
वह मरा नही
न जिंदा है
मरी तेरे भीतर कि आत्मा है
तू देखता है पर सच नही कह सकता है
ये तेरी बेबसता है या कमजोरी है
मरे उसे देखने वाले हैं
जो देखते हुए भी कुछ बोल नही सकते हैं ॥

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