बुधवार, 17 अक्तूबर 2007

स्वतंत्रता नाम की

आज के नागरिकों, तुम पूछो अपने से
क्या है तुम्हे स्वतंत्रता
सोचो
आज हम स्वतंत्र हैं जरुर
लेकिन
क्या हकीकत यही है स्वतंत्रता
जहां हमें रहने के लिए, खाने के लिए
पीने के लिए पानी नही है
कहीँ यही तो हमारे परतंत्रता की कहानी नही है
गुलाम कैसे हुए इसे भी सुनों
भारत विभाजित था अनेक खण्डों में
राजा लड़ते थे राजाओं से
देश की किसी को सोच नही थी
अपनी सल्तनत तक की देशभक्ति थी
समय में परिवर्तन आया
अंग्रेज भारत में आए
राजाओं को बंदी नही बनाया
उन्हें पेंशन की लालच दीं थी
हकीकत में देखें तो भारत आज वैसे ही है
जैसा बहुत पहले था
आज राजा नही नेता लड़ रहें है
कुर्सी के लिए देश के लिए नही
भारत जहाँ तक पीने का पानी नही पहुचा पाया
वहां आज सॉफ्ट ड्रिंक की बोतलें हैं
यह क्या है
शाम हो रही है सूरज ढ़ल रहा है
बह्रत की असुरक्षा का असार छा रहा है
वतन के नागरिकों वतन को बचा लो
भारत माता है असहाय है
उसकी लाज बचा लो

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