गुरुवार, 4 अक्तूबर 2007

ज़िन्दगी

उठने,गिरने, फिर से चलने का नाम ही तो
ज़िन्दगी है।
जो सदा चले और चलती ही रहें वही तो
जिन्दगी है।
ठोकर खाए, रूक जाये, फिर चले वही तो
जिन्दगी है।

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